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बॉम्बे HC ने कहा-सिर्फ धर्म अलग होना लव जिहाद नहीं: फरियादी का आरोप- एक्स गर्लफ्रेंड ने खतना करवा दिया, इस्लाम अपनाने का दबाव डाला

मुंबई4 दिन पहले

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि एक रिश्ते को सिर्फ इसलिए धार्मिक एंगल नहीं दे सकते कि लड़का और लड़की अलग धर्म के हैं। दरअसल, एक शख्स (एक्स बॉयफ्रेंड) ने महिला और उसके माता-पिता पर इस्लाम कबूल करने का दबाव डालने और खतना कराने का आरोप लगाया था।

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी महिला और उसके माता-पिता को अग्रिम जमानत देते हुए की। मामले की सुनवाई 26 फरवरी को जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस अभय वाघवासे की बेंच ने की। हालांकि खबर अब सामने आई है।

एक्स गर्लफ्रेंड पर लगाया था लव जिहाद का आरोपशख्स ने दिसंबर 2022 में एक्स गर्लफ्रेंड और उसके परिवार वालों के खिलाफ लव जिहाद का केस दर्ज कराया था। उसने बताया कि साल 2018 से वह मुस्लिम महिला के साथ रिश्ते में था। वह अनुसूचित जाति (SC) से था, लेकिन महिला को इस बारे में नहीं बताया। कुछ दिनों बाद महिला ने शख्स पर इस्लाम कबूल कर उससे शादी करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। तब शख्स ने महिला के माता-पिता को अपनी जाति बताई।

शख्स का कहना है कि महिला के माता-पिता को उसकी जाति से कोई समस्या नहीं थी। बाद में उन्होंने अपनी बेटी को भी मुझे बिना धर्म परिवर्तन कराए अपना लेने के लिए राजी कर लिया। फिर हमारे रिश्तों में कड़वाहट आ गई। इसके बाद मैंने महिला और उसके माता-पिता के खिलाफ धर्म बदलने का दबाव डालने, खतना कराने और पैसे मांगने के आरोप में केस दर्ज कराया। शख्स ने एक्स गर्लफ्रेंड और उसके परिवार पर जाति के नाम पर बुरा बर्ताव करने का आरोप भी लगाया।

औरंगाबाद स्पेशल कोर्ट ने नहीं दी थी जमानतइस मामले में औरंगाबाद स्पेशल कोर्ट ने महिला और उसके परिवार को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, इसके बाद वे हाईकोर्ट पहुंचे थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में लव-जिहाद का एंगल देने की कोशिश की गई है। जब दो लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं तो लव जिहाद की आशंका कम होती है।

कोर्ट ने कहा कि केस 2022 में दर्ज हुआ था और एफआईआर में शख्स ने कबूल किया है कि वह महिला से प्यार करता था। ऐसे में खुद को पीड़ित बताने वाला शख्स चाहता तो महिला से रिश्ते खत्म कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

मेडिकल रिपोर्ट में खतने की बात स्पष्ट नहीं हुईहाईकोर्ट ने कहा कि FIR में शख्स के खतना किए जाने की बात है, लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो सका। एक्सपर्ट्स नहीं बता सके कि खतना प्राकृतिक था या किसी सर्जिकल प्रोसेस की वजह से हुआ है।

मामले की जांच पूरी हो चुकी है और पुलिस जल्द ही चार्जशीट भी दाखिल कर देगी। अब इस मामले में महिला और उसके परिवार को न्यायिक हिरासत में रखने की जरूरत नहीं मालूम होती है। फिलहाल कोर्ट ने सभी को अग्रिम जमानत दे दी है।

क्या होता है खतना?मुस्लिम और यहूदी समुदाय में पैदा हुए लड़कों का खतना किया जाता है। इसमें उनके लिंग की फोरस्किन यानी ऊपरी भाग की स्किन को काटकर अलग कर दिया जाता है। हेल्थलाइन वेबसाइट के एक आर्टिकल के मुताबिक, इस दौरान बच्चों को दर्द होता है, लेकिन 7 से 10 दिन के भीतर वे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

पुरुषों के लिए खतना अच्छा, लेकिन महिलाओं के लिए बुरालड़कों में खतने के कई फायदे भी होते हैं। खतने से उनकी हाइजीन बेहतर होती है। सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज, पेनाइल कैंसर, सर्विकल कैंसर और यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा प्राइवेट पार्ट से जुड़ी बैलेनाइटिस, बालनोपोस्टहाइटिस, पैराफिमोसिस और फिमोसिस जैसी बीमारी का इलाज करने के लिए भी लड़कों का खतना किया जाता है।

इसके उलट, महिलाओं के खतने का कोई मेडिकल फायदा नहीं होता है, सिर्फ नुकसान होता है। WHO के मुताबिक महिलाओं को खतना के तुरंत बाद भयंकर दर्द, खून बहने, सूजन, बुखार, इंफेक्शन, घाव ना भरने और शॉक लगने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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